केन्द्र से की शरीयत में हस्तक्षेप न करने की मांग
संवाददाता। अंबेडकरनगर इस्लाम में तलाक देना सबसे ना पसंद चीज है। इस्लाम मंे तलाक को सबसे बुरा माना गया है इसे खुदा ने भी सबसे ना पसंद चीज फरमाया है। इसके बावजूद कोई शख्स अपनी बीबी को तीन बार तलाक कहता है तो उसका तलाक हो जाता है। शरीयत के इस कानून में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। ये कहना है आसताना अशरफिया जहांगीरिया के सज्जादानशीन अबुल हसन सै0 मोहम्मद अशरफ का है।
नगर के एक होटल में प्रेसवार्ता करते हुए श्री किछौछवी ने कहा कि तलाक देने का कुछ लोग गलत तरीके से पेश कर रहे है पैगम्बरे इस्लाम ने जो तालीम दी है उसमें तलाक देने पर कोई बंदिश है इनका ख्याल रखना भी जरूरी है। ऐसा नहीं की बीबी से झगड़ा हो गया और उसे तीन बार तलाक कह दिया जाये इस तलाक की तालीम इस्लाम ने कभी नहीं दी है। शरीयत के कानून में साफ है कि किसी शौहर और बीबी का झगड़ा हो रहा है या बीबी शौहर से तमीज से पेश नहीं आ रही है उसके मां-बाप यानी सास, ससुर को दुख पहुंचा रही है, बार-बार वो काम कर रही है जिसकी शरीयत में मनाही है तो शौहर उसे समझा सकता है जब समझने और समझाने के तमाम तरीके खत्म हो जाये तो केवल एक बार तलाक कहे इसके बाद उसे एक महीने तक सुधरने का मौका दे। इसके बाद भी ना माने तो दूसरी बार तलाक कहे और फिर एक महीने का समय दे और आखिर में बात पूरी तरह से बिगड़ जाये तो तीसरी तलाक कह सकता है। इस्लाम ने औरतों को भी अख्तियार दिया है कि अगर शौहर अपनी बीबी को शरीयते मोहम्मदी के मुताबिक नहीं रखता और बीबी उसकी बुरी हरकतो से परेशान है तो वो खुला का मुकाबला कर सकती है। हजरत सै0 अशरफ ने कहा कि शरीयत का कानून अटल है इसलिए इसमें बदलाव की गंुजाइश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज देश की तरक्की और अमन चाहता है, लेकिन इस्लामी काूनन को बदलने की कोशिष की गयी तो विरोध किया जायेगा। अगर खुला शौहर न दे तो औरत काजिये इस्लाम के जरिए खुला का मुकाबला कर सकती है। इस दौरान अबुल हसन सै0 मोहम्मद अशरफ, सै0 निजामुद्दीन अशरफ, एसएम नफीस, मुफ्ती रिजवान, इकबाल बापू, परवेज आलम किछौछवी, सै0 अब्दुल रज्जाक अशरफ, मोहम्मद आलम आदि लोग मौजूद रहे।
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